नई दिल्ली: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन कोरोना पॉजिटव हैं। इस वक्त मुंबई के नानावती अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। हालांकि, ये पहला मौका नहीं है जब अमिताभ किसी बीमारी की गिरफ्त में आए हैं। अमिताभ बड़ी से बड़ी बीमारी से पहले भी जंग जीत कर आए हैं और इस बार भी कोरोना को हराकर वापस आएंगे। आखिर करोड़ों लोगों की दुआएं जो महानायक के साथ है।
77 साल के महानायक अमिताभ बच्चन को कोरोना है, इस खबर के सामने आते ही उनके जल्द स्वस्थ होने के लिए दुआएं शुरू हो गईं। हांलाकि बिग बी ASYMPTOMATIC हैं, यानि बिना लक्षणों वाला कोरोना। ज़्यादा उम्र एक अलग बात है, लेकिन उनके चाहने वालों और सीनियर बच्चन की आत्म-विश्वास का असर ऐसा है कि बीमारियां उन्हें परेशान भले करें। लेकिन हरा नहीं पाती। हर बार अपनी बीमारी से दो-दो हाथ करके बिग बी और भी ज़्यादा मज़बूत होकर वापस आए हैं।
‘कूली’ के सेट पर हादसा, चोट से उबरे ‘शहंशाह’
1982 में मनमोहन देसाई की फिल्म कूली के सेट पर बिग बी के साथ जो हादसा हुआ, उससे उबरने में भले ही उन्हें काफ़ी वक्त लगा हो, लेकिन अपने करोड़ों चाहने वालों के प्यार और अपने हौसले के दम पर अमिताभ ना सिर्फ़ वापस आए, बल्कि उन्होंने कामयाबी की नई इबारत लिखी। कूली 1983 में रिलीज़ हुई और ज़बरदस्त कामयाब रही। अपने सुपरस्टार को देखने के लिए थियेटर्स में लंबी-लंबी कतारें लगीं। इसके बाद महानायक ने शराबी और मर्द जैसी ऐसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं, जिन्होंने उन्हें फिल्म इंडस्ट्री का शहंशाह बना दिया।
मायोस्थेनिया को बिग बी ने दी मात
कूली हादसे के कुछ वक्त के बाद ही बिग बी को मायोस्थेनिया ग्रेविस नामकी बीमारी भी हुई। ये बीमारी मानसिक औऱ शारीरिक तौर पर बेहद कमज़ोर कर देती है, लेकिन महानायक ने इसे भी हराया। वो पॉलिटक्स में गए 1984 से लेकर 1987 तक राजनीति के रंग देखे और फिर फिल्मों में वापसी की तो वाकई शहंशाह बनकर। अमिताभ को परदे पर शहंशाह बने देखने के लिए फिर से फैन्स उमड़ पड़े और फिल्म इंडस्ट्री ने दोनों हाथ बढ़ाकर अपने सबसे बड़े सुपरस्टार का इस्तकबाल किया।
परेशानी को पीछे छोड़ आगे बढ़ते रहे बच्चन
कुली हादसे के ही दौरान 200 से ज़्यादा लोगों से लिए गए 60 बॉटल ब्लट ट्रांसफ्यूज़न के दौरान बिग बी को हेपेटाइटिस बी से संक्रमित ब्लड भी चढ़ा दिया गया। और इसका पता उन्हें 22 साल तक नहीं चला । थोड़ी परेशानी होती रही, लेकिन बच्चन आगे बढ़ते रहे। इस दौरान उन्होने अग्निपथ, हम, मेज़र साहब औऱ बड़े मियां छोटे मियां जैसी शानदार और सुपर-डुपर हिट फिल्में कीं।
18 साल बाद साल 2000 में जब एक रूटीन चेकअप के दौरान इस बीमारी का पता चला, तो भी बिग बी रूके नहीं, बल्कि एक नई पारी के लिए तैयार हो गए। इसी साल मोहब्बतें जैसी सुपरहिट फिल्म के साथ उन्होंने बॉलीवुड को समझा दिया कि रिश्ते में वाकई वो सबके बाप लगते हैं।
स्पाइनल टीबी के बाद भी नहीं थमी रफ्तार
इसी साल बिग बी को स्पाइनल टीबी भी डिटेक्ट हुआ, और वो भी तब जब वो टीवी पर अपनी एक बिल्कुल नई पारी की शुरुआत करने जा रहे थे। इससे पहले 8 साल तक वो अपने पीठ में होने वाले दर्द को नॉर्मल बैक-पेन समझते रहे। लेकिन ये दर्द भी – अमिताभ बच्चन की राह नहीं रोक पाया। वो पेन किलर्स ख़ाकर – केबीसी के लंबे शूट करते और जब ये शो शुरू हुआ, तो इसने बिग बी की कामयाबी और शोहरत दोनों को एक नए पायदान पर पहुंचा दिया।
वो कांटे जैसी एक्शन फिल्म भी करते रहें, बागबां जैसी इमोशनल फिल्म भी और साथ ही– बंटी और बबली जैसी फिल्मों में अपना अलग ही स्वैग दिखाते रहे।
लिवर की परेशानी भी नहीं रोक पाई राह
लिवर सिरोसिस और हेपेटाइटिस बी से जूझते हुए बिग बी को 2015 में पता चला कि उनके 75 फीसदी लिवर ने बिल्कुल काम करना बंद कर दिया है, लेकिन क्या मज़ाल कि बिग बी की रफ्तार थमी हो। जिस उम्र में दुनिया थक कर रिटायरमेंट की सोचती हैं, वहां बिग बी हर दिन एक नया मुकाम छूते रहे। पिकू जैसी फिल्म के लिए नेशनल अवॉर्ड लेते रहे, पिंक जैसी फिल्म से दुनिया को जगाते रहे।
बिग बी कोरोना को हराकर अपनी कामयाबी की एक नई कहानी लिखेंगे और फाइटर बनकर – मुश्किलों के इस दौर में रौशनी बनकर चमकेंगे, ये भरोसा ही नहीं, बल्कि यकीं भी है।