नई दिल्ली। अमेरिकी और खाड़ी देशों से मिले व्यापक निवेश के कारण दुनिया भर में चर्चित रही रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी एक बार फिर वॉरेन बफे को पीछे छोड़ दिया है। ब्लूमबर्ग बिलियनर इंडेक्स के मुताबिक इस समय बारेन बफे की कुल संपत्ति 67.9 अरब डॉलर है जबकि मुकेश अंबानी की 68.3 अरब डॉलर से ज्यादा हो चुकी है।
बिलियनर इंडेक्स के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने दुनिया के दिग्गज निवेशक वॉरेन बफे को पीछे छोड़ दिया है। यह साल अंबानी के लिए बहुत अहम है। उन्होंने आरआईएल की टेलीकॉम इकाई जियो प्लेटफॉर्म्स में हिस्सेदारी बेचकर एक लाख करोड़ रुपये जुटाई है। इससे आरआईएल के शेयर में जबर्दस्त उछाल आया है। इसके चलते अंबानी की संपत्ति में जोरदार इजाफा हुआ है।
बिलियनर इंडेक्स से यह जानकारी मिली है। अंबानी के शेयरों की कीमत मार्च के निचले स्तर के मुकाबले दोगुनी से ज्यादा हो गई है। जियो प्लेटफॉर्म्स ने फेसबुक और सिल्वर लेक जैसे बड़े निवेशकों से एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम जुटाई है। इस हफ्ते दिग्गज पेट्रोलियम कंपनी बीपी ने आरआईएल के फ्यूल रिटेल बिजनेस में हिस्सेदारी खरीदने के लिए 1 अरब डॉलर की रकम चुकाई है।
एक तरफ जहां अंबानी की संपत्ति बढ़ी है वही दूसरी तरफ बफे की संपत्ति में इस हफ्ते गिरावट आई है। इसकी वजह यह है कि बफे ने अपनी 2,9 अरब डॉलर की संपत्ति दान कर दी है। पिछले महीने अंबानी ने दुनिया के 10 सबसे अमीर लोगों में जगह बनाई। वह इस सूची में शामिल एकमात्र एशियाई व्यक्ति हैं।
89 साल के हो चुके बफे अपनी संपत्ति लगातार दान कर रहे हैं। 2006 के बाद से उन्होंने अपनी कंपनी बर्कशायर हैथवे के 37 अरब डॉलर से ज्यादा मूल्य के शेयर दान में दिए हैं। इससे दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में वे नीचे आ गए हैं। इसके अलावा पिछले कुछ समय से बर्कशायर हैथवे के शेयरों के भाव में गिरावट भी आई है। इससे बफे की संपत्ति की घटी है।
63 साल के अंबानी दुनिया के 8वें सबसे अमीर शख्स हैं। बफे 9वें पायदान पर हैं। यह जानकारी ब्लूमबर्ग बिल्यनेर इंडेक्स पर आधारित है। इस इंडेक्स की शुरुआत 2012 में हुई थी। यह इंडेक्स दुनिया के सबसे अमीर लोगों की संपत्ति के बारे में बताता है। दुनिया के कई बड़े निवेशकों से अंबानी की डील की वजह से भारत इस साल विलय और अधिग्रहण (एमएंडए) के मामले में सबसे अहम देश बन गया है। एशिया-पैसेफिक में हुई डील में भारत की हिस्सेदारी 12 फीसदी है। कम से कम 1998 के बाद से यह कुल डील में भारत की सबसे ज्यादा हिस्सेदारी है।