पल्लवी झा, न्यूज 24, नई दिल्ली (12 अगस्त): चीन पर सबको ये शक है कि उसने कोरोना वायरस सारी दुनिया में फैलाया और अब चीन ने कोरोना वायरस को लेकर एक सीक्रेट मिशन शुरू किया है। जिस चीन पर सारी दुनिया में कोरोना फैलाने का आरोप है, अब वहीं चीन वैक्सीन की रेस में खुद को आगे साबित करने के लिए एक गुपचुप प्लान पर काम कर रहा है।
एक ओर कोरोना से बेहाल सारी दुनिया एक सुरक्षित वैक्सीन लाने के लिए रिसर्च, ट्रायल और रिपोर्ट तैयार कर रही हैं वहीं, दूसरी ओर चीन ने इस मामले में भी एक सीक्रेट प्लान तैयार किया है। खबर है कि चीन ने अपनी सेना के साथ मिलकर कोरोना वायरस की एक वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर चुका है। चीनी सरकार अपनी आर्मी के सैनिकों को बड़े पैमाने पर वैक्सीन लगा रही है और ये सब काम बेहद गुपचुप तरीके से हो रहा है।
विदेशी मीडिया की रिपोर्ट्स के मुताबिक चीन ने गुपचुप तरीके से सैनिकों को टीका लगाना शुरू कर दिया है। फाइनेंशियल टाइम्स अखबार ने दावा किया है कि चीन अपने सैनिकों को CanSino की विकसित की हुई वैक्सीन लगा रहा है। इस वैक्सीन को तैयार करने में पीपल्स लिबरेशन आर्मी और चीन में मेडिकल साइंस की चीफ चेन वेई का भी अहम रोल रहा है। चीन की तीनों प्रमुख वैक्सीन अब ट्रायल के सबसे एडवांस्ड स्टेज में हैं। आइए जानते हैं कि इन वैक्सीन का क्या स्टेटस है और चीनी वैक्सीन के सामने क्या चुनौतियां हैं?
चीन की वैक्सीन नंबर 1
– अप्रूवल पाने वाली CanSino पहली कंपनी ।
– चीनी कंपनी CanSino Biologics के शुरुआती ट्रायल बेहतर रहे हैं ।
– CanSino की कोरोना वैक्सीन सुरक्षित बताई जा रही है ।
– CanSino की वैक्सीन इम्यून सिस्टम को मज़बूती दे रही है ।
– CanSino की वैक्सीन आम सर्दी-जुकाम वाले वायरस से बनी है ।
– अब ये वैक्सीन इंसानों पर ट्रायल के आखिरी दौर में है ।
– सऊदी अरब इसे अपने 5,000 वॉलंटियर्स पर टेस्ट करेगा।
चीन की वैक्सीन नंबर 2
– Sinovac का फेज़ 3 ट्रायल जारी ।
– बीजिंग की कंपनी Sinovac के शुरुआती नतीजे अच्छे रहे हैं ।
– ये वैक्सीन निष्क्रिय वायरस से तैयार की गई है ।
– जुलाई में ब्राजील में फेज 3 ट्रायल शुरू हो चुका है ।
– Sinovac की कोविड वैक्सीन ने बंदरों पर असर दिखाया है ।
चीन की वैक्सीन नंबर 3
– Sinopharm की दो-दो कोरोना वैक्सीन ।
– चीन की सरकारी कंपनी Sinopharm ने 2 वैक्सीन तैयार की हैं ।
– ये कोरोना वायरस के निष्क्रिय पार्टिकल्स से बनाई गई हैं ।
– वायरस के तत्व निष्क्रिय किए जाते हैं, ताकि वो बीमारी न फैला सकें ।
– ये वैक्सीन एक और 2 फेज़ में एंटीबॉडीज़ तैयार करने में सफल रही।
– अब दोनों वैक्सीन का करीब 15 हज़र लोगों पर ट्रायल किया जाएगा ।
चीनी टीकों के सामने कितनी चुनौतियां?
चीन वैक्सीन के ट्रायल को लेकर एक्सपर्ट्स ने हैरानी जताई है। सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या जिस स्पीड से वैक्सीन लाने का वादा किया गया है, उस रफ्तार से काम पूरा हो सकेगा? दरअसल, चीन ने जिस तरह से CanSino की वैक्सीन को सेना के लिए इस्तेमाल की परमिशन दी है, उससे एक्पर्ट्स हैरान हैं। साइंटिफिक जर्नल ‘नेचर’ ने चीनी सरकार के इस फैसले को पूरी तरह राजनीतिक और गैरवैज्ञानिक कदम करार दिया है।
दावा किया गया है कि इस तरह के ट्रायल से वैक्सीन के असर का कुछ पता नहीं चलता। किसी भी वैक्सीन को कारगर साबित करने के लिए कम से कम 20,000 से 40,000 लोगों पर ट्रायल होना चाहिए। उस ट्रायल के दौरान मिलने वाले डेटा को महीनों और कभी-कभी सालों तक जांचा-परखा जाता है। ट्रायल्स में मिलने वाले डेटा की स्टडी और उसकी समीक्षा एकदम सही होनी चाहिए। पूरी प्रक्रिया में थोड़ी सी गलती भी वैक्सीन के पूरे मकसद को बर्बाद कर सकती है। ऐसे में कई चीनी कंपनियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि उनके पास दुनियाभर में अस्पतालों का नेटवर्क नहीं है। वहीं, फेज़ 3 के ट्रायल में भी पर्याप्त वॉलंटियर नहीं हैं.. ऐसे में दुनिया के बड़े वैज्ञानिक चीन की वैक्सीन को ज़्यादा भरोसेमंद नहीं मान रहे हैं।